Monday, January 30, 2012

खामोश गवाह...

# # #
नहीं है
सरोकार
राहों को,
आता है कौन ?
जाता हैं कौन ?
होती हैं वे तो
खामोश गवाह
रफ़्तार की...

Sunday, January 29, 2012

क्या है ? (आशु रचना)

# # #
मैं और तू
क्या है ?
एक घटना
जो घटित हुई
निरुपाय.....

सच
क्या है ?
एक झूठ
जो आखिर तक
निभ जाय....

Friday, January 27, 2012

दिशा संकेत..

# # #
जीवन की
मोटर कार,
वन वे ट्रेफिक
आग्रह के
गलियारों का,
इंधन
कुंठाओं का,
अस्थिर बुद्धि
परिचालक
मन सा,
कैसे पहुंचा पाऊं
चेतना को
उन्मुक्त चौराहों पर,
जहाँ दिये जा रहे हैं
विभ्रमित गति को
दिशा संकेत,
खुली मुठ्ठियों
और
सधी हुई उँगलियों से..

विराट और विराम

# # #
नयन बनती है
माध्यम,
अस्तित्व के
विराट कर्तृत्व को
स्वयं में
समा लेने का,
पर्वत-मैदान
नदिया-महासागर
वन-उपवन
प्राणी-अप्राणी
सुन्दर-असुंदर
स्वप्न-सत्य
सब कुछ
आते हैं चले जाते हैं
बिना ठहरे,
नहीं है विराम
एक क्षुद्र
नगण्य
किरकिरी को भी
यहाँ.........

Friday, January 20, 2012

सदा के लिए...

# # #
भरोसा है
सूरज
शक-सुबहां
बादल,
ढक सका
क्या
बादल
सूरज को
सदा के लिए ?

पछतावा...

# # #
बताया था
उस रात
दीये ने,
काला काला
जो निकलता है
उजली लौ में
उसकी,
होता है वह
पछतावा
उसके मन का,
जाना था मैंने
आंजते हैं
तभी तो हम
उसको
आँखों में अपनी...

भीड़ भरे मेले में...

# # #
सोता है
इन्सां
उतार कर सब
लिबास और मुखौटे
होता है जब
अकेले में,
जागता है मगर
औढ कर सारे
हुआ करता है वह
जब
दुनिया के
भीड़ भरे
मेले में...

दो रोज़ हफ्ते के...

# # #
दो रोज़
हफ्ते के ऐसे
नहीं करनी है
हमें फ़िक्र जिनकी,
रखना है
आज़ाद जिनको
हर डर से
हर ख़मखयाली से....

नहीं है
हिदायत यह
किसी नजूमी की,
फ़तवा
किसी मौलवी का
हुकुम
किसी बहमन का...

पूछेंगे नहीं
पीर है या के मंगल,
बुध या के जुमेरात का
कोई दंगल,
जुम्मे का चुम्मा या
सनीचर एतवार का कोई
शगूफा ?

भूल जाईये
ये सब हलचल
खयाल कीजिये बस
पहला :बीता हुआ कल
और
दूसरा : आने वाला कल...

आओ दोस्तों !
लें यह फैसला
नये साल के आगाज़ में,
जीना है हमें
बस आज में,
सुकून-ओ-मोहब्बत के
हसीं साज़-ओ-आवाज़ में...

[जर्सी सिटी (यू.एस. ए.) 2012-01-01]

Saturday, January 7, 2012

मैली राख...

# # #
केशर कस्तूरी नहीं
मैली राख
कर सकती है पाक
मांज कर
चांदी और सोने की
बेशकीमती तश्तरियों
और
प्यालों को !!!!!!!!!

फ़ित्रत..

# # #
समा जाती है
रोशनी
भूल कर
अपना वुजूद
छोटे से
किसी छेद में,
हो सके ताकि
रोशन
रूह अँधेरे की...

Sunday, January 1, 2012

किरदार...

# # #
लिख सकती है
नज़्म
काली कलूटी
रौशनाई
हूर के हुस्न पर,
सूरज की रोशनी पर,
चाँद की चांदनी पर,
मिल जाये अगर
उसे किरदार
ऐसा ही कुछ
उजला सा कर पाने का......

(रौशनाई=स्याही,मसी,ink)

नयी शुरुआत..

# # #
नेन्सी ने
टेबल से हटाया था
२०११ का कलेंडर
ठिठकी थी
रुकी थी
लगी थी सोचने
क्या क्या हुआ था
सही-गलत उससे
इस बीते साल में,
खुश कर रहा था
जो हुआ था सही,
जो गलत हुआ
लेकर नसीहत उस से
लिया था फैसला उस ने
नहीं दोहरऊँगी
हर हाल
२०१२ में उसको..

२०१२ की पहली शाम,
रंगी और मदहोश शाम,
धो डाले थे
तीन मार्टिनी ने
कच्ची खड़िया से लिखे
खोखले अलफ़ाज़,
करने को फिर से
एक नयी शुरुआत,
पूछ रही थी नेन्सी
नये बॉय फ्रेंड जेक से,
योर प्लेस ओर माई प्लेस ?