Tuesday, September 25, 2012

किरण भोर की आ गयी..


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जब से गये थे दूर तुम पूनम मावस हो गयी,
ज़िन्दगी जो चमन थी यक वीराना हो गयी.

याराना अपना यूँ कुछ  दुश्मनी में बदल गया,
नज़र किसकी यूँ लग गयी, रौनकें चली गयी. 

विरह के इन घावों को वक़्त ने अब भर दिया, 
तुमको हासिल है सुकूं, नींद मुझको आ गयी.

ख़ुशी की उजली रेत पर ग़म बेचारा सो गया, 
ज्वार भी चला गया, नदिया मुझमें समा  गयी.

माजी की इस लाश को आगोश में लिये हो क्यूँ,
उठ कर तो आगे बढ़ो, किरण भोर  की आ गयी.


Thursday, September 20, 2012

क़र्ज़ था किसी जन्म का,...


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था  सफ़र 
अँधेरी रात का, 
ना चाँद था 
ना तारा था, 
बिछोह का 
सागर नहीं,
ना मिलन का 
किनारा था, 
क़र्ज़ था 
किसी जन्म का,
चुक गया
सच है यही,
ना हम कभी 
तुम्हारे थे, 
ना तू कभी 
हमारा था....

Tuesday, September 18, 2012

पानी पर खिंची लकीरें...


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कैसी चालाकी है
इस मैले मन की, 
मान लेता है ये 
हर मौसम को
आखरी हद 
वक़्त की,
'मैं' पर  लगी 
चोट को 
आवाज़ 
दिल टूटने की, 
जिस्म की
जुम्बिश को
दास्ताँ रूह की, 
लगा कर तोहमतें 
बेवफाई की 
औरों पर 
पहुंचाता है 
ठंडक कलेजे को,
भर कर 
आँखों में 
आंसू घड़ियाली 
बटोरने लगता है
हमदर्दी 
खुद जैसों की,
क्यों खींचता है
मूर्ख,
लकीरें पानी पर,
पलक झपकते ही 
लील जायेगा जिनको 
ना ख़त्म होने वाला
तेज़ बहाव...
 

Monday, September 17, 2012

तुम्हारे आने से...

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बता रहे है 
अवशेष
पुकार कर 
मुझ को,
हुआ करता था 
यहीं पर
कोई घर 
बसा हुआ...

पीड़ा थी
विवशता
मेरे रुंधे हुए
रुदन की,
आंसुओं के
प्रवाह में
ना जाने
क्या था
फंसा हुआ...

मिल गयी है
भाषा
मेरे मौन को
तुम्ही से,
होता था
मेरे बोलों पर
कोई बंधन
कसा हुआ.....

आलोकित
दस दिशाएँ
तेरे आगमन से
हुआ करता था
तिमिर गहरा
नयनों में
धंसा हुआ...

Tuesday, September 11, 2012

ना रास आई...


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आते ही
कड़ी धूप 
हो गयी 
जुदा 
मेरी परछाईं,
वक़्त की बात
यारी मेरी
ना रास आई...

सो जा !
ना आएगा वो 
जुदा होने वाला,
रात का 
आखरी तारा भी 
तो अब है 
चला जाने वाला.....


Tuesday, September 4, 2012

वो ज़माना..


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कन्धों पर मेरे 
सिर है 
या जमी है
बर्फ कोई,
एक ज़माना था
बोलते थे 
आग की भाषा 
हम......

Monday, September 3, 2012

करार...


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दिल है कि 
कुछ ऐसा 
हो जाये,
सूरज भी 
सफ़र में
संग रहे,
रात से 
ये करार 
हो जाये...