Thursday, October 29, 2009

प्रीत के रंग अनोखे : Extempore Creation

प्रीत के रंग अनोखे
रे साधो !
प्रीत के रंग अनोखे
बैठ झरोखे मौला निरखे
प्रीत के रंग अनोखे
रे साधो !
प्रीत के रंग अनोखे……...

बिरहन राधा पीत भई है
कान्हा के रंग नीले
भर आलिंगन दुई मिले जब
हरित ज़र्दी कूं पोखे
रे साधो !
प्रीत के रंग अनोखे………

हरदी तजी है निज ज़र्दी कूं
चुन तज्यो रंग सादो
दुई मिल हुयो रंग गाढो रे
कौन किसी कूं सोखे
रे साधो !
प्रीत के रंग अनोखे………

कुमुदनी जल हरी बसे रे
चंदवा रंग ज़र्द अकासां
खिल खिल हुई हरी कुमुद रे
चलत हवा के झोंके
रे साधो !
प्रीत के रंग अनोखे……….

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