Sunday, December 27, 2009

तुम हो ( बात विरही की)........

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शीतल
शीतल
चांदनी
मयंक की
तुम हो...
विरह में
सूरज की
तपती सी
अगन
तुम हो....
ना पूछो
मुझ से कि
मेरी क्या
तुम हो....
जानम !
मेरे हर
सांस
और
लम्हे की
लगन
तुम हो....

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