Tuesday, February 23, 2010

पिया सी......

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अरमानों का
सबब
कुछ ऐसा रहा
'महक',
पानी में
रह कर भी
मीन
पियासी रही,
लपकने को
चाहता है
हर रंग
यह दिल
हर शै
कायनात की
पिया सी रही......

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