Monday, December 13, 2010

चन्द दूहे :

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दुई मिल दुनिया ये बनी दुई को मत तू भूल
बदली हवा है वक़्त की अरु बने नये उसूल.

नौ मासन अवधि बड़ी, रह्यो गर्भ में गोय
बिना मात पैदा भयो तब तू स्वयंभू होय.

बदर गयो है जुग जगत को काहे मचाये शोर
कर इज्ज़त तू नारी की समझही अपनी ठौर.

आधी दुनिया कहि कहि कब सौं तू चिल्लाय
हक़ की बतियाँ ज्यों उठे भैंसों सम पंगुराय.

दिन लद गये बल-बाहु के जब से बनी मशीन
मर्द गर्द चाटत रहे जब महिला बनी प्रवीन.

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