Sunday, November 1, 2009

मकसद.......

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मधुर फलों के
तरु
दे देते
सब को,
क्षणिक
याद
आह्लाद,
नीम-वृक्ष का
होता मकसद
स्वांतसुखाय
उपकार,
चितन में
नहीं होता
उसके
स्वाद
विषाद
प्रमाद
वृथा का
अंतहीन
विवाद.

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