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शुमार है
रजा
उसकी में
हमारी
ऊर्जा ,
पोशीदा
हर इक
फिजा में है
उसकी
ऊर्जा,
पहचाननी है
खुद में
हमको
उसकी
उर्जा,
जो है
हम में
वह नहीं है
महज़
उसका
कर्जा......
हमारी ही है
हमारी है
यह बेशुमार
उर्जा...
Monday, August 9, 2010
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