Thursday, March 24, 2011

घुटन और खुले दरीचे : नायेदा आपा

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बाद आधी रात
जब भी
लड़खड़ाते कदमों से
दारू की बास
मुंह में लिए
लौट कर
लाल बत्ती इलाके से
आता था घर
और
कहता था :
“घुटन हो रही है-बदजात !
खोल दो दरीचा
ताकि
राहत दे
ताज़ा हवा.”

खोल कर
बंद खिड़की को
तकती थी
चाँद तारों को
सर-ए-दामन-ए-शब,
लगाती थी
लाल दवा
चोटों पर
जो नवाजी थी
उस ज़ालिम ने
और
सुना करती थी
उसके बरहना
खर्राटों को..

महसूस होती थी
घुटन
उस कफस में
उसको भी
जो ख़िताब था
उस हरीम का ही नहीं
उसकी
दस्त-ए-ग़म
जिन्दगी का भी,
नौहे उसके
जाग जाग कर
हो कर
निढाल

कशाकश-ए-मर्ग-ओ-जिंदगी से,
देते थे आवाज़
बार
बार:
आओ !
बचाओ मुझको
खिजां के बेमहर
तल्ख़ एहसास से ....

आया था
अचानक
कोई ऐसा
राहों में उसके
जिसे
आया था दिल
उसके
सोच,
अंदाज़
और
वुजूद पे,
दे रह था
सुकून
बन कर
शरीक-ए-ग़म-खुदाई
उसका...

उसकी चाहत
ले आई थी
बहार--गुल
सूखे बियावां
सहरा में,
बखेर रहे थे
खुशबुएँ अपनी
लाखों सुर्ख गुलाब...

लगने लगा था
उसको
किया है करम
खुदा ने
उस पर,
दिया है झोंका
ठंडी हवा का
खोलकर
बंद दरीचे
उसकी तंग जिंदगी के
और
दी है निजात
उस जानलेवा
घुटन
से.....

फिर एक दिन
वही सय्याद
ले आया था
संग अपने
‘समाज’
नाम के
बाहुबली को,
जो था अपाहिज़
और
चलता था
बैसाखियों पर....

कहलाती थी
मजहब
एक बैसाखी
जो देती थी
दुहाई
फ़र्ज़ की बार बार ,
नाम दूसरी का था
कानून जो
साबित करने
'होने' को
उसकी घुटन के
देता था सजा
बरसों की,

तरेरे लाल लाल आँखें
वो बाहुबली
कभी इस बैसाखी से
कभी उस बैसाखी से
चोट पहुंचाता था
उसको
और
करता था तकरीर
उसको
ताजिंदगी
मन्कूहा बने रहने की.....

बेगैरत,
बेवफा,
बेहया
न जाने क्या क्या
नामों से
जा रह था
पुकारा उसको,
जिसका असल
हकदार था
वो आदमी जो
खड़ा था
पकडे हुए हाथ
उस ‘समाज’ का
जो उस वक़्त
सोया हुआ था
नींद
गफलत की
घुट रह था
जब
उस बदबूदार
अँधेरी जिंदगी में
दम किसी का.....


सुर्खियाँ थी
अगले दिन के
अख़बार की :
‘नाजायज रिश्तों ने दो की जान ली.’
‘विवाहेतर सम्बन्ध-प्रेमियों की आत्महत्या'
‘लव ट्राएंगल: टू डेड' ....

‘समाज’ के इजारेदार
हो रहे थे
फिक्रमंद
सोसाइटीमें गिरती हुई
मोरल वल्युजके लिए,
और
वो दोनों
मोहब्बत करनेवाले
लिए हाथों में हाथ
एक दूजे का,
सांसों कि सांसत से
आज़ाद
सो रहे थे
बेखबर
एक नींद
लम्बी सी.....


करीब ही
बज रहा था
रेडियो पर
मल्लिका-ए-तरन्नुम
नूरजहाँ का नगमा
“खुदा खुद प्यार करता है
मुहब्बत इक इबादत है”

मायने:
दरीचा=Window. सर--दामन--शब=Last part of the night. बरहना=Naked. कफस=Cage. हारीम=Four Walls of a house.दस्तेगम=Jungle of sorrows. निढाल=Exhausted. खिजा=fall,patjhad. तल्ख़=Bitter.अंदाज़=Manners/Mannerism. वुजूद=Existence. शरीकेगम-खुदाई=Involved in the miseries of world. सुकून=Mental peace. बियाबां=Desert, Forest. सहरा=Desert.
बहरेगुल=Season of flowers. सुर्ख=Red. करम=Generosity. सय्याद=Hunter, Fowler.
बैसाखियाँ=Crutches. मजहब=Religion फ़र्ज़=Duty मनकूहा=Wife. अर्धांगिनी.
तकरीर=Speech. बेगैरत=Shameless.बेवफा=Unfaithful.बेहया=Shameless.नाजायज=Illegitimate. इजारेदार=Monopolist, ठेकेदार.फिक्रमंद=Worried. इबादत=Worship.कशाकश-ए-मर्गो-जिंदगी= Struggle of life and death(जिंदगी-मौत से जूझना).नौहे=mourning/विलाप।

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