Thursday, March 31, 2011

आखरी सांस...

# # #
आखरी
सांस,
मिट गयी
आस,
रूह उड़ी
देह अकड़ी,
अगन ने
पकड़ी,
चन्दन की
लकड़ी...

(मधुरिमा बाईसा को महक की भेंट)

No comments:

Post a Comment