Friday, August 1, 2014

सौगात : नायेदा आपा

सौगात : नायेदा आपा

(गुरुदेव रबी ठाकुर की रचना का भावानुवाद)

अरी !
आएगी मौत
आखिर में
जिस दिन
तेरे दर पर,
तू क्या देगी
सौगात ?

कहूँगी उसको
खुशामदेद ! ! !
रख दूंगी
जानिब उसके
भरा हुआ
साँसों का प्याला,
ना जाने दूंगी
कैसे मैं उसको
बिलकुल
खाली हाथ ..........


कितनी
खिजां बहार की रातें,
उजली सुबहा
रंगीं शामें,
भरे हुए
सांसो में मेरे
है जिनके
मीठे मीठे
एहसास .......


कितने फल
कितने फूल,
रहते है
मेरे दिल में
रहते हैं झूल,
सुकून--ग़म की
धूप छांव में,
पले थे जो
खिले थे जो....

मौत आएगी
दर पर
जिस दिन,
सरमाया
दिन इतनो का,
सरंजाम
भी दिन इतनो का,
सखी !
आखरी पल में
उसको
थाल सजा कर
दे दूंगी सौगात........

No comments:

Post a Comment