Thursday, July 30, 2009

बीज...

# # #
कहा पत्ते ने,
"डाली ! मैं नहीं होता अगर
लगती कितनी बदसूरत तू."
बोल उठा था फूल,
"पत्ते ! गर मैं नहीं होता यहाँ
सूना सूना सा लगता तू "
क्यों रहता पीछे फल भी
कह डाला उस ज़ालिम ने भी,
"गर होता नहीं मैं
सुन अरे मूर्ख फूल,
जन्म तुम्हारा तो
हो जाता फजूल..."

सुना था
सब को,
छुपे-लुके बैठे
नन्हे बीज ने,
और
लगा था वह सोचने :
"पड़ी है अपनी ही सब को,
नहीं है कोई राजी
कुछ भी सहने को,
फटा नहीं होता गर मैं
होता नहीं कोई भी*
यह सब आज कहने को...

*(डाल, पत्ता, फूल या फल)

1 comment:

  1. aapki har rachna gulab ki tarah khushboo bikherti hai aur apna asar karti hai ...

    ReplyDelete