Wednesday, July 8, 2009

अधीर

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लघु
होता है
कितना
कंकर,
और
होता जल है
धीर वीर गंभीर,
हो उद्वेलित
जब फैंका
पाथर,
भया नीर
क्यों
अस्तव्यस्त
अधीर...?

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