Monday, June 14, 2010

Leadership : नेतृत्व

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सच्चे मार्गदर्शक
कदाचित ही
ज्ञात होते हैं
अनुयायियों में,

तदनंतर
आते हैं नेता
ज्ञात एवम् प्रशंसित
जन जन में,

उनके पश्चात
होतें हैं वो
जिन से
होतें हैं
भयाक्रांत
लोग,

कुछ ऐसे भी
होतें हैं
तथाकथित नेता
हेतु जिनके
तिरस्कार और
घृणा
होती है
जनता-जनार्दन में.

बिना दिये
अवदान
विश्वास का
प्राप्य होना
असंभव है
आस्था का,

मुस्कुराता है
शांत
उत्साहित
संतुष्ट
मार्गदर्शक,
विस्मृत कर
अहम् एवम्
आत्मश्लाघा को
कार्य सुसम्पादन के
उपरांत
एवम्
करके श्रवण
उद्घोष
सामान्य-जन का:

“हम कर सके यह कार्य सुसंपन्न !”

“हम ने किया है यह उत्तम कार्य !”

“हम कर सकते हैं सब कुछ !”

(Based on TAO TE CHING of LAO-TZU)

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