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जीवन की
मोटर कार,
वन वे ट्रेफिक
आग्रह के
गलियारों का,
इंधन
कुंठाओं का,
अस्थिर बुद्धि
परिचालक
मन सा,
कैसे पहुंचा पाऊं
चेतना को
उन्मुक्त चौराहों पर,
जहाँ दिये जा रहे हैं
विभ्रमित गति को
दिशा संकेत,
खुली मुठ्ठियों
और
सधी हुई उँगलियों से..
Friday, January 27, 2012
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