Thursday, July 29, 2010

साँसों का सफ़र...

(दिल नहीं मान रहा था, आपकी महफ़िल में महक हाज़िर है..कभी कभी आउंगी...आप सब को मेरा सलाम और शुभकामनाएं !)

# # #
साँसों का
ये सफ़र
'महक'
कितना
सुहाना है,
मिल जाये
कब
मंजिल
हम को
बस क्या
ठिकाना है...

1 comment:

  1. बेहद सुन्दर...आपके आगमन जितनी ही सुखद कविता

    ReplyDelete