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गर चाहते हो
साथ मेरा,
पहिले
मुझ से
तुम को
ए जाना !
तहे दिल से
खुद को
चाहना होगा,
अँधेरे एहसासों से
खुद को
उबारना होगा,
दूरियां मंजिल की
नहीं मालूम
मगर
हौसला चलने का
जगाना होगा,
खोया जो है
उसको
भुलाना होगा,
हासिल जो है
इस लम्हा
उसको ही
सजाना और
संवारना होगा,
गर उड़ना है
आसमां की
ऊँचाई पर
सफ़र धरती का
तुम को
पूरा-ना होगा,
तैर चुके हो
लहरों पर
बहुत तुम,
पाने को
मोती
अनमोल
गहरे में गोता
तुम्हे
लगाना होगा,
कोमल कितने हैं
एहसासात
जिंदगी के,
नरम हाथों से
उनको
संभालना होगा,
चुराले ना
शबनम को
सूरज
सुबह का,
अनाम से इस
रिश्ते को
खुद से भी
छुपाना होगा.
गर चाहते हो
साथ मेरा,
पहिले
मुझ से
तुम को
ए जाना !
तहे दिल से
खुद को
चाहना होगा,
अँधेरे एहसासों से
खुद को
उबारना होगा,
दूरियां मंजिल की
नहीं मालूम
मगर
हौसला चलने का
जगाना होगा,
खोया जो है
उसको
भुलाना होगा,
हासिल जो है
इस लम्हा
उसको ही
सजाना और
संवारना होगा,
गर उड़ना है
आसमां की
ऊँचाई पर
सफ़र धरती का
तुम को
पूरा-ना होगा,
तैर चुके हो
लहरों पर
बहुत तुम,
पाने को
मोती
अनमोल
गहरे में गोता
तुम्हे
लगाना होगा,
कोमल कितने हैं
एहसासात
जिंदगी के,
नरम हाथों से
उनको
संभालना होगा,
चुराले ना
शबनम को
सूरज
सुबह का,
अनाम से इस
रिश्ते को
खुद से भी
छुपाना होगा.
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