Tuesday, March 15, 2011

अहम्..(एक पहलू) : आशु रचना

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अहम् है
बस एक
परिकल्पना
करना होता है
सतत
रख रखाव
जिसका,
होती है
वांछा जितने
बडे अहम् की,
करना होता है
आयोजन
वृहत उतना
रख रखाव का
जुटा कर
धन
ज्ञान
यश
सामर्थ्य
संपर्क
और भी
बहुत कुछ...

मन मेरे !
करना
इस्तेमाल इस
दानव का,
मगर
कभी ना
आजाना
बहकावे में
इसके...

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