Saturday, April 21, 2012

रूह ओ ज़मीर...


रूह ओ ज़मीर...
# # #
एक इमारत
गोल गुम्बद.
चौकोर आँगन,
लंबे गलियारे,
रूह-ओ-ज़मीर पहरेदार
दोहराना 
आवाज़ उनकी,
बन जाती 
फ़ित्रत 
गुम्बद की...

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