फैल्थम ने कहा था : "प्रशंसा विभिन्न व्यक्तियों पर विभिन्न प्रभाव डालती है. वह विवेकी को नम्र बनती है और मूर्ख को और भी अहंकारी बनाकर उसके दुर्बल मन को मदहोश कर देती है."
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ढह जाते हैं
पुल
मिथ्या प्रशंसा के,
मनुआ!
ना करना
उपक्रम
चलने का
उस पर..
(अमेरिकी रेड इंडियन लोगों में प्रचलित एक कहावत)
Wednesday, January 19, 2011
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बहुत कम शब्दों में गहरी बात!
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