Tuesday, May 10, 2011

छोड़ कर हाथ...

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छोड़ कर
हाथ
परिपक्व मधुर
फल का,
संभालती है
डाली
किसी और
अधपके
खट्टे
कसेले
फल को,
बनाने
मधुर
रसभरा
उसको ...

1 comment:

  1. बहुत गहरे भाव भर दिए आपने इन चंद शब्दों में ...आपका आभार

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