Tuesday, May 17, 2011

पंसारी.....


(राजस्थानी लोकोक्ति से प्रेरित)
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बहम पाला
दिखाया
कैसी है दिलदारी,
सूंठ की गाँठ ली,
बन बैठा पंसारी...

(पंसारी=व्यापारी जो जड़ी बूंटीयों, मसालों आदि में डील करता है, सूंठ=सूखी हुई जिंजर)

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