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गिर पड़ी थी
किरकिरी
हीरे को तलाशते
इन्सान की
आँख में,
देने लगा था
गालियाँ
रेत को,
कोस कोस कर
दिखाने लगा था
दुर्भाव,
किन्तु धरा
क्षमाशील
जानती है
मानव का
नाशुक्रा स्वभाव...
Thursday, February 16, 2012
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