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लबालब भरे
तालाब को
दूब ने जबरन
ले लिया था
आलिंगन में.........
लहरों ने
चिढ कर कहा था
"किसने दिया था
तुम्हे निमंत्रण ?"
आदत से मजबूर
टर्रटर्रायी थी मेंढकी:
"पगली, जहाँ अपनत्व हो
वहां निमंत्रण की
प्रतीक्षा नहीं होती."
लबालब भरे
तालाब को
दूब ने जबरन
ले लिया था
आलिंगन में.........
लहरों ने
चिढ कर कहा था
"किसने दिया था
तुम्हे निमंत्रण ?"
आदत से मजबूर
टर्रटर्रायी थी मेंढकी:
"पगली, जहाँ अपनत्व हो
वहां निमंत्रण की
प्रतीक्षा नहीं होती."
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