$$$
बर्बादी का
बना हुआ है
सबब
बागबाँ,
जड़ों में
या मौला
पानी नहीं
तेजाब दे रहा है
गुलिस्तां के
मासूम
बूटो को
अंदाज़-ए-इताब
उसका
इस तरहा
इज्तिनाब-ओ- अजाब
दे रहा है...
बज रहा है
दूर कहीं यह नगमा
बदल जाये
अगर माली
चमन होता नहीं खाली
बहारें फिर भी
आती है
बहारें फिर भी
आएगी...........
खुशबू नहीं है
अमानत
किसी की
खिलतें हैं फूल गर
गुलिस्तां में
महक
खुद-ब-खुद भी चली आती है
महक
खुद-ब-खुद भी चली
आएगी.........
(सबब=कारण,इताब=क्रोध, इज्तिनाब=नफरत/ उपेक्षा, अजाब=यातना)
बर्बादी का
बना हुआ है
सबब
बागबाँ,
जड़ों में
या मौला
पानी नहीं
तेजाब दे रहा है
गुलिस्तां के
मासूम
बूटो को
अंदाज़-ए-इताब
उसका
इस तरहा
इज्तिनाब-ओ- अजाब
दे रहा है...
बज रहा है
दूर कहीं यह नगमा
बदल जाये
अगर माली
चमन होता नहीं खाली
बहारें फिर भी
आती है
बहारें फिर भी
आएगी...........
खुशबू नहीं है
अमानत
किसी की
खिलतें हैं फूल गर
गुलिस्तां में
महक
खुद-ब-खुद भी चली आती है
महक
खुद-ब-खुद भी चली
आएगी.........
(सबब=कारण,इताब=क्रोध, इज्तिनाब=नफरत/ उपेक्षा, अजाब=यातना)
No comments:
Post a Comment