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चलते हैं
जहाँ
हल
बोते हैं
बीज
लहलहाते हैं
बूटे
कहलाते हैं
खेत,
समझ लो
नहीं तो
हैं बस
मिटटी
धूल
या के
रेत..........
chalte hain
jahan
hal
bote hain
beej
lahlahate hain
boote
kahlate hain
khet
samajhlo
nahin to
hain
bas
mitti
dhool
ya ki
ret.
चलते हैं
जहाँ
हल
बोते हैं
बीज
लहलहाते हैं
बूटे
कहलाते हैं
खेत,
समझ लो
नहीं तो
हैं बस
मिटटी
धूल
या के
रेत..........
chalte hain
jahan
hal
bote hain
beej
lahlahate hain
boote
kahlate hain
khet
samajhlo
nahin to
hain
bas
mitti
dhool
ya ki
ret.
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