Tuesday, February 16, 2010

दिन-रात : एक श्रृंखला (प्रथम प्रस्तुति)

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द्वार दीये के
आया था
तिमिर,
स्वागत में
दीपक ने
लगाया था
उसको
लौ का
दैदीप्यमान टीका,
घटित हुई थी
करुणा
प्रदीप की,
रंग अमावास का
हो गया था
फीका....

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