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टूटे हुए खिलौने भी
जी को
बहलाया करते हैं,
दिल के अधूरे अरमां
वो भी पूरे
किया करते हैं,
खिलखिलाते हैं
'महक'
सर-ए-वज़्म यूँ ही,
दरिया-ए-अश्क
अकेले में
बहाया करते हैं...
टूटे हुए खिलौने भी
जी को
बहलाया करते हैं,
दिल के अधूरे अरमां
वो भी पूरे
किया करते हैं,
खिलखिलाते हैं
'महक'
सर-ए-वज़्म यूँ ही,
दरिया-ए-अश्क
अकेले में
बहाया करते हैं...
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