अपनी अपनी चेतना..
# # # # #
एक सी माटी
एक सी पवन
एक ही गगन
पते एक से
डाली एक सी
एक सा मूल
खिले मेरे आँगन में
कनेर के फूल,
लाल है थोड़े
तो चंद पीले
कुछ है श्वेत,
छटा यह प्रकृति की
कितनी है अद्भुत,
किया अपनी अपनी चेतना से
सत्य को अनुभूत..
No comments:
Post a Comment