Friday, July 27, 2012

ऐ कलम !


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ऐ कलम !
खातिर इज़हार के
चुनने दे 
अलफ़ाज़
खुद से ही 
मेरे एहसासात को,
ऐसा ना हो के 
गुमाने इल्म 
दे डाले कोई और शक्ल 
दिल में उपजे
कोमल ज़ज्बात को...

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