Tuesday, July 24, 2012

मुतअस्सिब....

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मुतअस्सिब 
दिल-ओ-ज़ेहन को 
कैसे हो 
मयस्सर
सच के 
एहसास,
समा सकता है 
खाली घड़े  में ही
एक फैला हुआ 
आकाश....

(मुतअस्सिब=पूर्वाग्रही,prejudiced)

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