Friday, August 31, 2012

अपना ही चेहरा...


अपना ही चेहरा...
# # #
घेरा है 
सूरज को
जब से 
रात के अंधेरों ने 
ढूंढती हूँ
फिर फिर 
मैं 
अपना ही चेहरा....

Tuesday, August 28, 2012

नादां शबनम...


# # # #
कहूँ क्या 
तुझ को 
ऐ नादां शबनम, 
बिखेर दिये हैं 
तू ने गौहर
यहाँ वहां 
पत्ती पत्ती..... 

(गौहर=मोती )

कुशल मंगल...


# # # #
बा-खबर पराये 
आन खड़े हैं संग 
मेरे दुःख में, 
मत  करना 
सूचित 
मेरे बेखबर 
अपनों को
नहीं उत्सुकता जिन्हें 
मेरे कुशल मंगल की..

Monday, August 20, 2012

भरमाया गया...


# # # # #
अनकिये 
अपराधों से
करके आरोपित,
कपट से 
वधालय मुझ को 
लाया गया..

झुक जाती है 
फलों लदी शाखें,
मुझ पुष्पविहीन को 
बीच उद्यान 
बलि वेदी पर 
झुकाया गया..

ये चिन्ह है मुझ 
विरहिणी के 
कृन्दन के,
कलंक मुझ पर
प्राणहीन दीवार के 
आलिंगन का 
लगाया गया....

लाये हैं 
टुकड़ों टुकड़ों में 
मेरी देह को 
सम्मुख दर्पण के,
तुड़ा मुड़ा बिम्ब मेरा 
मुझ को ही 
दिखाया गया... 

फूटी थी कोंपलें 
कठोर पत्थरों में
वासना है ये 
प्रेम नहीं 
कहकर मुझे 
भरमाया गया...

Thursday, August 16, 2012

कहा उसने क्या था ..?


# # # # #
पुकारा था 
हवा ने 
मुझ को,
ना जाने
कितनी दफा,
अफ़सोस !
मैं ही ना 
समझ पायी
कहा उसने 
क्या था ..?

Wednesday, August 15, 2012

बदरा और बिजुरी...


# # # #
बिज्जू हंसी 
बदरा  पिघरा,
कतरा कतरा 
जमीं पर झरा..

Tuesday, August 14, 2012

पट मंदिर का खुला हुआ...


# # # # #
देखो ना 
कब कैसे 
क्या हुआ,
रूप और मेधा 
देख उसकी, 
तिक्त 
सागर सुरा हुआ...

डगमगा रही 
नैय्या 
मतवाली,
पीया है सागर 
सारा इसने, 
देखो तभी 
नशा हुआ ..

जग गये प्राण 
शुष्क वृक्षों में ,
अप्रतिम दर्शन  
जिस क्षण, 
मनमोहना 
सुदर्शन का हुआ...

सीप तलाशती 
मोती स्वाति में, 
तृप्ति हेतु 
तृषाकुल की,  
जलधि  स्वयं  
व्याकुल  हुआ...

खड़ी थी मैं 
अधखुले 
वातायन पर, 
सम्मुख मेरे 
सुन री सखी 
नयनों का 
जगराता हुआ....

विरहन देवी
प्रतीक्षारत
विकल, 
दर्शन स्पर्शन को
अति आकुल ,
पट मंदिर का
खुला हुआ...



Saturday, August 11, 2012

नाम ले कर सांवरे का ...


# # # # #
नाम ले कर 
सांवरे का ,
क्यूँ करते बदनाम 
मोहब्बत को,
रूहानी कह देते हम 
हर जिस्मानी-ओ-वक्ती 
सोहबत को...

माखन की चोरी,
वो हरण पैरहन का, 
वो इश्क राधारानी से 
वो वरण रुकमन का,   
बृज की वो रासलीला,
महाभारत की 
अचूक रणनीति,
अर्जुन का वो सारथि
द्रौपदी से निभाई प्रीति, 
देवकी नंदन था वो 
के सुत जसोदा  का, 
यादवों की तबाही 
वो किस्सा द्वारिका  का, 
हर लीला में 
है देखो 
फलसफा समाया, 
सूक्ष्म को ना 
देखा हम ने 
स्थूल ने भरमाया..

मालिक की 
हरक़तों में 
पोशीदा इल्म 
दो  जहाँ का, 
हम कुएं के मेंढकों को    
हो गवारा ये कहाँ का,
औढ कर मुखौटे 
करे नाटक इबादत का,
लफ़्ज़ों में छुपा छुपा है
नमूना यक ज़हालत का...

Thursday, August 9, 2012

तेरे होने जैसा..


# # #
मेरा प्रत्यक्ष और परोक्ष एक ही जैसा 
मेरा ह्रदय विशाल है मेरे ललाट जैसा.

मेरे अस्तित्व के तिमिर भरे आँगन में 
जगमगाया प्रकाश ज्यूँ तेरे होने  जैसा.

पिया गयी  मधु कह कर जीवन-विष को 
मेरा स्वरूप है अगन में तपे कुंदन जैसा.

हुई मैं राख जली जो दुःख की ज्वाला में 
मेरे विगत का रूप था किसी  रतन जैसा.

मैं अपने ही भ्रम में रही बंदिनी हो कर 
काश मेरा भी प्रसार होता 'महक' जैसा.

Tuesday, August 7, 2012

इरादा...


# # #
कर दिया 
डांवाडोल
सफीना-ए-दिल को
यक थपेड़े ने, 
करीब है 
भंवर, 
ऐ  खुदा
तू बता
नाज़े-तूफां का 
इरादा   
क्या है...

(नाज़=हावभाव, घमंड, सफीना=नाव).

Sunday, August 5, 2012

बादल...


# # #
लुटाता 
हरियाली 
दुनियां को 
बादल,
मगर 
कितना बंजर 
है खुद 
आब से भरा 
बादल....

सागर है
दया का 
हसास 
बादल,
मगर 
कुसंग दरिया का 
बहा देता है 
मेरा घर 
बादल....

हाथ उठे थे
बारिश की 
दुआओं की 
खातिर,
बरसा गया 
चंद संग
बादल.....

छील गया
दिल के 
दरो दीवारों को,
राहे आँखों से 
बरस गया 
बादल.....

लगाये 
बैठे थे उम्मीद
सुकून-ओ-ठंडक की,
आग 
सावन में भी
लगा गया 
बादल...

हसास=भावुक.

Saturday, August 4, 2012

पतंग....


# # #
पतंग थी 
लफ़्ज़ों की
उडती गयी
उडती गयी
और 
बढ़ गयी 
खूब आगे,
दूर चला जाना 
उसका 
करा गया एहसास, 
हुई थी
भूल मेरी
पहचानने में
उसको.....

Wednesday, August 1, 2012

मुक्ति प्रयाण..


# ##
होगी पहननी
पहले तुम को  
सुर-सांकल 
सुकोमल सुमधुर 
मेरे गीत पखेरू !
होगा निश्चित 
विमुक्त 
मित्र  तू 
पर सुन, 
होता है  
हर मुक्ति-प्रयाण 
बंधने से ही शुरू...