Wednesday, August 1, 2012

मुक्ति प्रयाण..


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होगी पहननी
पहले तुम को  
सुर-सांकल 
सुकोमल सुमधुर 
मेरे गीत पखेरू !
होगा निश्चित 
विमुक्त 
मित्र  तू 
पर सुन, 
होता है  
हर मुक्ति-प्रयाण 
बंधने से ही शुरू... 


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