Saturday, December 10, 2011

चले जाना.....

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चले जाना
चले जाना
के नंगे पांवों
चले जाना,
मेरी फ़ित्रत है ये
यारों !
के कोई
फैसला उसका...

चुभन काँटों की
लगती है मुझे
अपनी सी
ए यारों !
तोड़ डाले है
इस दिल को
कुचल कर
टूटना उनका..

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