Sunday, December 25, 2011

फर्क...कुहू कुहू

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कोयल को
कौवे के
घोंसले में
खुद के अंडे
रखते देख,
तुम ने भी
रख दिये थे
आँखों में मेरी
अल्फाज़ी एहसास
अपनी मोहब्बत के....

फर्क बस इतना है,
नन्हे चूजे
बन कर कोयलिया
छेड़ेंगे
सुरीली तान
कुहू कुहू की,
और तेरे ये
जूठे झूठे
मुर्दे एहसासात
बह जायेंगे
संग मेरे अश्कों के...

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