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बन्दूक उठाई
और
दाग दी,
गिर पड़ा पखेरू
लगा था तड़फने
"कितना
माहिर है
निशानेबाज़"
बोल रहे थे लोग....
और
दूसरे दिन,
थम गयी थी
धड़कन दिल की,
म़र गया था
निशानेबाज़,
"कितनी बेरहम है
मौत."
कहा था
उन्ही लोगों ने...
Sunday, March 11, 2012
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