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आक की
नन्ही कली को
दबाया था किसीने
जब चुटकी से,
निकल पड़ी थी
तेज़ धार
दूध की,
दखी थी जब
यह दातारी
ज़हर की,
छोड़ कर
इस धरती को
जा बसी थी
कामधेनु
स्वर्गलोक में....
छोड़कर
इस धरती को...
Tuesday, March 13, 2012
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