Thursday, June 7, 2012

गवारा...

# # #
बन कर मेहमां
आया है
मेरे घर 
गहरा सा 
एक अँधेरा,
ना कोई मह
ना है कोई सितारा,
पहचानी है 
सूरत उसकी 
रंग से महज़, 
करूँ कैसे 
ऐ मौला !
मैं उसको 
अब गवारा.....

No comments:

Post a Comment