Thursday, March 18, 2010

जड़-चेतन.......

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जड़ चेतन की
बात चली तो
अनायास मैं
लगी सोचने
चेतन जाता
क्यों
जड़ रह जाता ?

मुरली के
बजने को देखा
रहती मुरली
स्वर चुप हो जाता
चेतन जाता
क्यों
जड़ रह जाता ?

दीपक के
जलने को देखा
लौ जलती
दीपक रह जाता
चेतन जाता
क्यों
जड़ रह जाता ?

मंजिल रहती है
गति रुक जाती
बीच सफ़र
कांटा यदि
चुभ जाता
चेतन जाता
क्यों
जड़ रह जाता ?

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