Tuesday, March 30, 2010

फ़ित्रत.......


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दिखा था
बस
चेहरा मेरा
आईने में ;
अक्स-ए-फ़ित्रत
नहीं,
हुआ था
अफशा-ए-राज
फ़ित्रत का
चली आई थी
मैं जब
खुद में.......

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