Sunday, March 21, 2010

गहरायी रात....

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आंधी के है
तेज़
थपेड़े,
घिर
आये हैं
बादल....

वीराना
गहरायी
रात का,
मोहे
बनाये
पागल.....

चाँद-ओ-तारे
छुप से
गये हैं,
बिजली
का है
तांडव....

कजरा
बहा
अश्क संग
मोरे,
कब
आवेंगे
माधव......

कमलिनी
मूंदे है
आँखें,
अलि को
मिले
कैसे कोई
आशियाँ....

बन जा रे
परवाना,
जोए बाट
तिहारी,
जलता हुआ
कोई
दीया....

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