...
आंसू झरते हैं
नीचे चले आते हैं
करते हैं स्पर्श
तन का
करने हेतु रमण
मन में....
राग हो जाती है
अग्रसर
दूर होकर
होने गुंजायमान
गगन में
देखा,
पीड़ा का संग है
अन्तरंग का
साथ सुख का होता है
बहिरंग का.......
aansu jharte hain
girte hain neeche
karte hain sparsh
tan ka
karne raman
man men......
raag hoti hai
agrasar
door hokar
hone gunjayman
gagan men......
dekha,
peeda ka sang hai
antarang ka
saath sukh ka hota hai
bahirang ka......
Sunday, October 4, 2009
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