Tuesday, October 6, 2009

आलोकित....(आशु कविता)

आलोकित तुम से
मेरा संसार
छूट गया सब
लोक व्यवहार
आलोकित तुम से
मेरा संसार.......

तुम बिन सूना
मेरा हर कोना
किसको पाना ?
किसको खोना ?
तन मन चाहे
बस अभिसार
आलोकित तुम से
मेरा संसार........

सीमायें सारी
तोड़ चुकी हूँ
तुम से नाता
जोड़ चुकी हूँ
दुनिया करे
चाहे प्रतिकार
आलोकित तुमसे
मेरा संसार........

मेरे अंतर में
तू है समाया
तू ही संग है
बनकर साया
व्यर्थ है सारे
रीत संस्कार
आलोकित तुम से
मेरा संसार.........

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