Thursday, October 1, 2009

मौन.Maun...........

..

मेरे मौन को
पहना कर
शब्दों को अपने
मान लिया था तुमने
समझ गये हो
बातें मेरे अंतर की .........

दूर रह कर
सुने जा सकते हैं
बोल
केवल मात्र
बोल............

जानने मौन को
चाहिए होती है
एकात्मकता,
इन्द्रियाँ नहीं
आत्मा
केवल मात्र
आत्मा.....

mere maun ko
pahna kar
shabdon ko apne
maan liya tha tum ne
samajh gaye ho
baaten mere antar ki .....

door rahkar
sune ja sakte hain
bol
keval matra
bol.........

janne maun ko
chahiye hoti hai
aekatmakta,
indriyaan nahin
atma
keval matra
atma..........

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