Wednesday, October 28, 2009

बिसात (Extempore Creation)

बिछायी है
उसने
बाजी
शतरंज की
बनाये हैं
मोहरे
हम सब को,
खेलता है वो
इन से
बता के चालें
तरहा तरहा की.......

प्यादे को बना कर
वजीर
दिखा देता है वह
उसकी
टेढी चाल को
बादशाह को भी
चलाता है
चाल अढाई
घोड़े सा करने
कमाल को.........

शह और मात
बन जाते हैं
जुनूँ ज़िन्दगी के
नहीं समझ पाता है
इन्सां
अपनी जात और
बिसात को.....

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