Tuesday, January 26, 2010

फ़ित्रत......

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फ़ित्रत
हमारी है
आजादी,
चाहे
कर लो
पाबन्द
हमें
क़फ़स से,
बना लेंगे
हम एक
मुकम्मल
चमन अपना
सींच कर
खून-ए-जिगर
अपने से.....

[फ़ित्रत=स्वभाव/टेम्परामेंट, पाबन्द=विवश/वचनबद्ध, क़फ़स=पिंजरा, मुकम्मल=सम्पूर्ण, खून-ए-जिगर=ह्रदय का रक्त- उर्दू में जिगर शब्द का प्रयोग ह्रदय, यकृत (लीवर),साहस और आत्मा के लिए होता है.]

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