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पूछा था
तेली के
बैल ने :
मेरे अज़ीज़
कोल्हू !
चलें है
कितने कोस हम,
कहाँ है मंजिल......?
बोला था कोल्हू :
धीरज धर
मेरे दोस्त !
तिल जब होंगे ख़त्म
आएगी
तभी
मंजिल......"
Puchha tha
Taili ke
Bail ne :
Mere Azeez
Kolhu !
Chalen hain
Kitne kos hum
Kahan hai manzil...?
Bola tha kolhu:
Dheeraj dhar
Mere Dost !
Til jab honge khatm
Aayegi
Tabhi
Manzil...........
Monday, January 4, 2010
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