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गौहर-ए-चश्म को
रखा कर
पोशीदा
चश्म में ही,
गवांता
क्यों है
दर्द की
अकूत
अज्मत को....
Gauhar-e-chashm ko
Rakhaa kar
Poshidaa
Chashm men,
Ganwaata
Kyon hai
Dard ki
Akoot
Azmat ko....
(गौहर=मोती, चश्म=आँख, पोशीदा=छुपा हुआ, अकूत=जिसको मापा ना का सके, अज़मत= महिमा/महात्म्य)
गौहर-ए-चश्म को
रखा कर
पोशीदा
चश्म में ही,
गवांता
क्यों है
दर्द की
अकूत
अज्मत को....
Gauhar-e-chashm ko
Rakhaa kar
Poshidaa
Chashm men,
Ganwaata
Kyon hai
Dard ki
Akoot
Azmat ko....
(गौहर=मोती, चश्म=आँख, पोशीदा=छुपा हुआ, अकूत=जिसको मापा ना का सके, अज़मत= महिमा/महात्म्य)
bahut hi sunder rachna ...gagar mei sagar jaise ....
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