Friday, May 21, 2010

अवसर

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"मत इतरा
ऐ गर्वीली
पूनम !"
कहा
दीवट पर
आरुढ़
दीपक ने --
कर ले तू
तनिक
ख़याल
इस बात का..

देख लेना
होगा आरम्भ
कल से ही
तुम्हारे
सिरमौर
चन्द्रमा के
अपकर्ष का
एवम्
प्रारंभ
मेरी
कुम्ह्लायाई सी
ज्योति के
विकास का...

शनै शनै
चली आएगी
मेरी सखी
अमावस्या
एवम्
बन जाऊँगा
मैं भी
आलोक पुरुष
इस
तम-ग्रसित
धरा का…

दंभ ना कर
स्वयं की
स्थिति का
देता है
समय
बलवान
अवसर
सबको
स्वयं
आलोकित
होने का…

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