Sunday, May 23, 2010

समदर्शी...

शजर
देता है
छांव
दोनों को,
एक है
सींचने वाला
दूसरा
काटने वाला,
कोई
फर्क नहीं
उसकी दृष्टि में
तभी तो है
वह
समदर्शी,
एक सी
नज़र वाला...

No comments:

Post a Comment